नई दिल्ली: सोमवार को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत भारतीय जवानों पर हमला किया। हालांकि चीन की पीएलए ऑर्मी की तरफ से अचानक हुए इस हमले में पहले भारत को बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन उसके बाद जिस तरह से बिहार रेजीमेंट के जवानों ने मोर्चा संभाला, उसके बाद चीनी सैनिक भाग खड़े हुए।
उस रात बिहार रेजीमेंट के जवानों ने बहादुरी की कहानी, पूरी दुनिया में सैन्य अभियानों के लिए मिसाल बन गयी है। उस रात चीनी सैनिकों की तादाद भारतीय सेना की तुलना में पांच गुणा ज्यादा थी, लेकिन फिर भी हमारे बहादुर जवानों ने चीनी सेना को ऐसा मारा कि अब वह शांति से बातचीत को सुलझाने की बात कर रहा है।
जानिए उस रात की पूरी कहानी
अखबार डेक्कन हेराल्ड ने सैन्य सूत्रों के हवाले से बिहार रेजीमेंट की जवानों की शौर्यगाथा की पूरी कहानी छापी है। इस लड़ाई में बिहार रेजीमेंट के जवानों ने प्राचीन युद्ध कला का प्रयोग किया। भारत के जवानों को ऑर्डर मिले थे कि वह गलवान में बनाए गए चीनी सैनिकों द्वारा टेंट को हटाने की पुष्टि करें। इसी को देखते हुए कर्नल बी संतोष बाबू जवानों के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि चीनी सेना ने वहां से टेंट को नहीं हटाया तो उन्होंने इसका विरोध किया। इसी बीच बड़ी तादाद में वहां पर मौजूद चीनी सैनिक ने उनपर हमला कर दिया। जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी मोर्चा संभालते हुए उनको जवाब देना शुरू किया।
हालांकि इसी हिंसक झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद हो गए। जिसके बाद बिहार रेजीमेंट के सैनिकों के सब्र का बांध टूट गया। चीनी सैनिकों की तादाद बहुत ज्यादा थी, जिसके बाद भारतीय फौज ने पास की टुकड़ी को इस बारे में जानकारी दी और मदद मांगी। सूचना मिलने के तुरंत बाद ही भारतीय सेना का 'घातक' दस्ता मदद के लिए वहां पहुंचा। बिहार रेजीमेंट और घातक दस्ते के सैनिकों की कुल तादाद सिर्फ 60 थी, जबकि दूसरी तरफ दुश्मनों की तादाद काफी ज्यादा थी।
सरकार की तरफ से जवानों को फायरिंग की मनायी थी, लेकिन कमांडिंग ऑफिसर की हत्या से आहत बिहार रेजीमेंट के जवान किसी भी हाल में चीनी सेना को सबक सीखाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने प्राचीन युद्ध शैली का प्रयोग करते हुए पत्थर, डंडा और भाले को हथियार बनाया।
18 चीनी सैनिकों का तोड़ दी गर्दन
बिहार रेजीमेंट के जवानों ने एक ही झटके में 18 चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ दी। एक सैन्य अधिकारी ने बताया, 'कम से कम 18 चीनी सैनिकों का गर्दन की हड्डी टूट चुकी थी और सर झूल रहा था। कुछ के चेहरे इतनी बुरी तरह से कुचल दिये गये थे कि उन्हें पहचान पाना संभव नहीं था। भारतीय सैनिकों का हमला इतना भयानक था कि चीनी भाग खड़े हुए और घाटियों में छिपने लगे।'
ये लड़ाई लगभग चार घंटे तक चलती रही। चीनियों के पास तलवार और रॉड थे, जिनको छीनकर भारतीय सैनिकों ने उनपर हमला करना शुरू कर दिया। बिहार रेजीमेंट के जवानों का यह रौद्र रूप देखकर सैकड़ों की तादाद में मौजूद चीनी भागने लगे और घाटियों में जा छिपे, जिसके बाद भारतीय जवानों ने उनका पीछा करते हुए उन्हें चुन-चुनकर मारा। हालांकि वह इतने आगे चले गए थे कि उनमें से ही कुछ पकड़ लिये गए, जिन्हें शुक्रवार को चीन ने रिहा किया।
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