Vibhoo Pandit

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23 Sep 2020.6:20 PM

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बिना ऑपरेशन दिल का छेद बंद कर यशोदा कौशाम्बी के डॉक्टरों ने बचाई महिला की जान
गाजियाबाद। हृदय रोगियों के लिए कोविड काल बहुत ही संकट भरा है। ऐसे में यशोदा सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल कौशाम्बी के डॉक्टरों ने एक ऐसी 50 वर्षीय महिला की जान बचाई जिसके दिल मे छेद था और हालत काफी बिगड़ती जा रही थी। सबसे बड़ी बात ये है कि हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इस महिला के दिल का छेद बिना ऑपरेशन के ही बन्द कर उसे नई जिंदगी दी है।
हॉस्पिटल के प्रमुख कार्डियोलॉजिस्ट डॉ० असित खन्ना ने बताया कि जिस समय महिलाको हॉस्पिटल लाया गया था उस समय की गई जांच में सामने आया कि महिला के दिल में 2 सेमी का छेद होने की वजह से उसके फेफड़ों में उच्च दबाव विकसित हो रहा है। जिससे उसकी जान को खतरा है। उन्होंने बताया कि कार्डियक इन्टर्वेंशन की एएसडी क्लोजर तकनीक के जरिये जिसमें एंजियोप्लास्टी की तरह ही पैर की नस के सहारे दिल तक पहुंच कर छेद को एक डिवाइस से बंद कर दिया जाता है उसी तकनीक के जरिये उन्होंने और उनकी टीम ने कमर की नस (पर्क्यूटियस) से तार डाल कर 26 मिमी की एएसडी डिवाइस की सहायता से छेद को सफलतापूर्वक बंद कर दिया। अब मरीज स्थिर है और तेजी से ठीक हो रहा है।
डॉ खन्ना ने बताया कि आमतौर पर दिल का छेद बंद करने के लिए ऑपरेशन किया जाता है, जिसके बाद मरीज को कुछ दिनों तक अस्पताल में ही रहना पड़ता है, किन्तु इस विधि से इलाज से बड़े ऑपेरशन की जरूरत नहीं पड़ती और बहुत ही छोटे चीरे के माध्यम से इस प्रक्रिया को कर दिया जाता है। मरीज की रिकवरी भी बहुत तेजी से होती है तथा 2 से 3 दिन में मरीज को हॉस्पिटल से छुट्टी भी दे दी जाती है। जल्द ही मरीज अपनी सामान्य दिनचर्या कर सकता है और चलने फिरने लग जाता है।  
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, कौशाम्बी, गाज़ियाबाद के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ पी एन अरोड़ा ने बताया कि यह एक नियमित मामला नहीं है और कोविड के समय में इस प्रक्रिया से संबंधित वस्तुओं की उपलब्धता भी चुनौतीपूर्ण थी लेकिन टीम यशोदा ने यह कर दिखाया है। डॉ अरोड़ा ने डॉक्टरों एवं कैथ लैब की पूरी टीम को बंधाई देते हुए मरीज के जल्द ही पूर्ण रूप से स्वस्थ होने की भी कामना की।
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