#आजमगढ़ *कृषि महाविद्यालय आजमगढ़ में दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन*
कृषि महाविद्यालय कोटवा, आज़मगढ़ में 22 मार्च 2021 दो दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय था सतत कृषि के लिए फसल अवशेष का पुनर्चक्रण। इस वेबिनार का मुख्य उद्देश्य फसल अवशेष प्रवंधन, संग्रहण एवं संरक्षण के साथ साथ जलवायु परिवर्तन के अनुसार फसल अवशेष प्रवंधन की नई विधियों की जानकारी साझा करना है। वेबिनार में कुल 621 वैज्ञानिकों शोध छात्रों एवं प्रगतिशील किसानों ने प्रतिभाग किया जोकि भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा संस्थाओं से थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह जी थे। कार्यक्रम का संचालन सस्य विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ टी पण्डियाराज ने महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो धीरेन्द्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में किया। प्रो सिंह ने स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। आई सी ए आर- एन ए एच ई पी के नोडल ऑफिसर डॉ देबाशीष नियोगी ने उदघाटन भाषण दिया।
कई कार्यक्रमों की व्यस्तता की वजह से विश्विद्यालय के कुलपति डॉ बिजेन्द्र सिंह जी कार्यक्रम में शिरक़त नही कर सके। प्रथम टेक्निकल सेशन के वक्ता पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ मंजीत सिंह ने फसल अवशेष प्रवंधन में हैप्पी सीडर एवं सुपर सीडर की भूमिका के बारे में बताया। जी बी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय के संयुक्त निदेशक शोध एवं प्राध्यापक डॉ आरएन पटेरिया ने फसल अवशेष को खेतों में जलाने के बारे बताया । उन्होंने फसल अवशेष प्रवंधन के लिए स्ट्रॉ चॉपिंग कम इनकारपोरेशन मशीन का निर्माण किया तथा उसकी कार्य प्रणाली के बारे में भी बताया।
आई सी ए आर-एन बी ए आई एम मऊ के वैज्ञानिक डॉ वी मगेश्वरण फसल अवशेषों में किण्वन विधि द्वारा मूल्य संवर्धन के विषय पर चर्चा की। वेबिनार के दूसरे दिन जी बी पंत विश्विद्यालय के प्राध्यापक डॉ धनंजय कुमार सिंह ने चावल गेंहू प्रणाली द्वारा फसल प्रवंधन पर चर्चा की। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ हितेन्द्र कुमार राय ने कृषि संरक्षण: फसल अवशेष प्रवंधन तथा स्थायी मृदा स्वास्थ्य के बारे विस्तार से चर्चा की। जी बी पंत विश्विद्यालय के ही एक और वैज्ञानिक डॉ सुमित चतुर्वेदी ने जलवायु लचीली कृषि के लिए बायोचार फसल प्रवंधन के बारे में बताया।
चंद्र शेखर आज़ाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्विद्यालय के प्राध्यापक डॉ राम प्यारे ने सतत कृषि के लिए फसल अबशेष प्रवंधन के महत्व को बताया। कार्यक्रम के अंत मे प्रो सिंह समापन भाषण देते हुए मुख्य अतिथि, सभी वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियो का धन्यवाद किया। धन्यवाद प्रस्ताव वेबिनार के संयोजक डॉ संदीप कुमार पांडेय ने दिया। उन्होंने वेबिनार को सफलतापूर्वक आयोजित कराने के लिए सभी को धन्यवाद किया।
महाविद्यालय की सहायक प्राध्यापक एवं मीडिया प्रभारी डॉ रेनू गंगवार ने दी।