अहिंसक व्यक्तित्व का निर्माण जरूरी : शांडिल्य फतेहपुर शेखावाटी, 25 अप्रैल। हिंसा से मुक्ति पाने के लिए अहिंसक जीवन शैली का निर्माण जरूरी है। अहिंसा प्रशिक्षण जरूरी है। सही जीवन शैली जीने के लिए अहिंसक जीवन शैली जरूरी है और यह तभी संभव है जब हम भगवान महावीर को समझेंगे, जानेंगे और पहचानेंगे, अपने आचरण में उतारेंगे। उक्त बातें आचार्य महाप्रज्ञ अहिंसा प्रशिक्षण पुरस्कार प्राप्त अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र के प्रभारी अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शांडिल्य भगवान महावीर की जयंती के अवसर पर लीलावती रायजादा स्मृति भवन में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जिओ और जीने दो का संदेश भगवान महावीर ने दिया था। अहिंसा कायरों की शक्ति नहीं है, अहिंसा बहादुरों की शक्ति है। प्रत्येक सामाजिक प्राणी की जीवन शैली में अहिंसा समाहित है। समाज का प्राणी अहिंसा को पसंद करता हंै क्योंकि वह शांति से जीना चाहता है और शांति से जीने के लिए अहिंसा जरूरी है। जहां अहिंसा है, वहां शांति है। दोनों एक दूसरे का पूरक है।
इस अवसर पर कुमारी अलका ने भगवान महावीर एक गीत का प्रस्तुत किया। कोरोना वायरस से बचना है तो भगवान महावीर का प्रेक्षा ध्यान साधना आराधना के शरण में जाना होगा। ध्यान करने से इम्यूनिटी पावर बढ़ती है। इसलिए ध्यान साधना प्रत्येक साधक को करना चाहिए।
हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि भीड़ क्या है। हमें यह देखना चाहिए कि जिस कार्य के लिए हम बैठे हैं, चाहे 5 ही हो लेकिन कार्य का वर्तमान परिवेश में उसके उद्देश्य को समझना चाहिए। कार्यक्रम को संक्षिप्त रूप में किया गया और भगवान महावीर की जयंती मनाई गई। उनको याद किया गया और अशांत विश्व को शांति के राजमार्ग पर चलना होगा तो उसे भगवान महावीर के संदेशों को समझना होगा यह बात अपने उद्बोधन में अहिंसा प्रशिक्षक सतीश शांडिल्य ने कहा।
सोशल डिस्टेंस का ख्याल रखा गया तथा इस अवसर पर अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र में मास्क वितरण किया गया।
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