रेप के मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि रेप के आरोपी को इसलिए छोड़ा नहीं जा सकता क्योंकि पीड़िता सेक्स की आदि थी या फिर चरित्र ठीक नहीं था।
अपनी 16 साल की बेटी के साथ बलात्कार कर उसे गर्भवती करने वाले पिता दोषी करार करते हुए जस्टिस आर नारायण ने कहा कि बलात्कार पीड़िता की गवाही की विश्वसनीयता इस बात से प्रभावित नहीं होगी कि उसने किसी अन्य व्यक्ति के के साथ यौन संबंध बनाए हैं। आरोपी की और से दलील दी गई है कि पीड़िता ने किसी और के साथ संबंध बनाए थे।
आरोपी की दलील को खारिज करते हुए, अदालत ने अपने 11 अक्टूबर के फैसले में कहा: अगर किसी लड़की का चरित्र खराब है या उसे यौन संबंध बनाने की आदत है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि रेप के आरोपी को छोड़ दिया जाए। अगर यह मान भी लिया जाए कि पीड़िता पहले यौन संबंध बना चुकी है, तो यह निर्णायक सवाल नहीं है। इसके उलट सवाल यह है कि क्या आरोपी ने पीड़िता के साथ रेप किया है, यह ट्रायल आरोपी का है, पीड़िता का नहीं।
अदालत ने कहा कि इससे बड़ा अपराध कोई नहीं हो सकता है कि एक पिता ही अपनी बेटी का रेप करे।
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