ना तो एक दो दिन में कोई बाँध बन सकता ना खतरा बनने जितना भर सकता ! निर्माण शुरु होने से पहले योजना बनाते समय निर्माण काल के ख़तरों को अनदेखा क्यों किया गया? बिडम्बना है कि आज इस खतरनाक स्थिति को बनाकर इस भयावह स्थिति से निपटने के लिये किये जाते युद्धस्तरीय प्रयासों के लिये वाहवाही भी चाहिये सरकार को? और योजना में खामी का ठीकरा विभाग पर फोड़कर 2-4 अधिकारियों की बलि भी ले लेंगे आप... मगर जिम्मेदारी नहीं स्वीकार सकेंगे? है ना? खतरा बनने दें और खतरे से बहादुरी से निपटना बताकर बहादुरी का मैडल भी ले लें! वाह म़त्रीजी वाह! सिलावट ने रिपोर्टर की तरह बताए मौके के हालात; VIDEO
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